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क्या होता है electoral bond? क्यों Modi सरकार को सता रहा है डर !

क्या होता है electoral bond?

electoral bond एक प्रकार का चुनावी चंदा है जिसके माध्यम से व्यक्ति या कॉर्पोरेट राजनीतिक पार्टियों को अनामित रूप से धनराशि दे सकते हैं. यह बॉन्ड सुप्रीम कोर्ट के मामले में विवादित है, क्योंकि कुछ मानते हैं कि इससे पारदर्शिता में कमी होती है, जबकि कुछ कहते हैं कि इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है

 

  1. मामले का विवरण: सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सर्वसम्मति से दिए गए फैसले में चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक” माना गया, इस पीठ की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश ने की।
  2. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को समाप्त कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना के खिलाफ सर्वसम्मति से फैसला सुनाया, जिसमें प्रभावी मतदाता विकल्प के लिए राजनीतिक दलों के चंदा में transparency के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
  3. चुनावी चंदा में transparency: सुप्रीम कोर्ट का इलेक्टोरल बॉन्ड समाप्ति का निर्णय चुनावी चंदा में transparency प्रस्तुत करने का मकसद है। 


 

सुप्रीम कोर्ट ने SBI को क्या निर्देश दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एसबीआई को चुनावी बांड के बारे में जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया था |सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 13 मार्च 2024 तक अपने वेबसाइट पर सभी  इलेक्टरल बॉन्ड के डाटा को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था| हालांकि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने 4 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल किया कि वह 30 जून से पहले डाटा को प्रकाशित नहीं कर सकता |  राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इलेक्टोरल बांड के पब्लिक हो जाने के बाद आने वाले लोकसभा चुनाव में सरकार को परेशानी का सामना करना पर सकता है जिस कारण वह एसबीआई के के माध्यम से इस फैसले को चुनाव के बाद लागू करना चाह रही है|

 

चुनावी बांड विवरण का खुलासा करने के लिए एसबीआई के अधिक समय के अनुरोध के पीछे क्या कारण था?

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने परिचालन चुनौतियों के कारण चुनावी बांड विवरण का खुलासा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अधिक समय का अनुरोध किया:

परिचालन संबंधी कठिनाइयाँ (Operational Difficulties:): एसबीआई ने चुनावी बांड विवरण प्रस्तुत करने के लिए विस्तार की मांग के प्राथमिक कारण के रूप में परिचालन कठिनाइयों का हवाला दिया। यह दिए गए समय पर डाटा को उपलब्ध कराने में अपनी असमर्थता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से अधिक समय की मांग की|


विस्तार अनुरोध: एसबीआई ने चुनावी बांड से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा का खुलासा करने के लिए 30 जून, 2024 तक विस्तार की मांग की। यह विस्तारित समय सीमा लोकसभा चुनाव के बाद आती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि जानकारी चुनावी प्रक्रिया के बाद सार्वजनिक की जाएगी



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